वाराणसी. अगर सब कुछ सही रहा था जल्द ही वाराणसी में चौथा इंडस्ट्रियल हब खुलने जा रहा है. रामनगर, चांदपुर एवं करखियांव स्थित इंडस्ट्रियल एरिया के बाद अब वाराणसी में फ़ूड प्रोसेसिंग हब खोलने की तैयारी है.
इसके लिए यहाँ के उद्यमियों की मांग पर फूड प्रॉसेसिंग इंडस्ट्रियल एरिया बनाने के लिए जमीन का सर्वे और जरूरी फल-सब्जियों की उपलब्धता का आंकलन कर एक रिपोर्ट बनाकर प्रदेश सरकार को भेजी गई है. जिले के सीनियर अफसरों की मानें तो इस ड्रीम प्रॉजेक्ट के लिए जमीन देने को कई किसानों ने पहले ही हामी भर दी है. अगर इस मामले में कोई रोड़ा नहीं आता तो चुनाव से पहले सूबे के सीएम अखिलेश यादव इस प्रॉजेक्ट को हरी झंडी दे सकते हैं.
स्मॉल इंडस्ट्री खासकर फूड प्रॉसेसिंग से जुड़ी इंडस्ट्री लगाने के लिए उद्यमी कई दिनों से सरकार से जमीन उपलब्ध कराने की गुजारिश कर रहे थे. इस मांग को ध्यान में रखते हुए उद्योग विभाग के महाप्रबंधक उमेश सिंह के साथ फ़ूड प्रोसेसिंग डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स की चार मेम्बर्स की टीम ने जिले के सभी ब्लॉकों का सर्वे किया. शासन को भेजी गई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि सबसे ज्यादा फल उत्पादन वाले शहर की सीमा से सटे इलाके को सर्वाधिक मुफीद हैं.
इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट के जनरल मैनेजर उमेश सिंह ने बताया कि किसानों से इस मामले में बातचीत की गई है. उनके मुताबिक़ किसान भी चाहते हैं कि इलाके में फूड प्रॉसेसिंग यूनिट लग जाए. उमेश सिंह के मुताबिक़ फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 80 से 100 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी.
वाराणसी के चिरईगांव इलाके में आम, अमरूद, करौना, आवंला, केला जैसे फलों का खासा उत्पादन होता है. यह इलाका पूर्वांचल में उत्पादन के मामले में पूर्वांचल में नंबर एक माना जाता है. इस इलाके में कई कास्तकारों ने बकायदा फलों का बगीचा लगा रखे हैं. इसी तरह चिरईगांव इलाके में लौकी, आलू, प्याज, टमाटर, कोहड़ा आदि सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती होती है. पूर्वांचल के अन्य जिलों से फल-सब्जी आने से फूड प्रॉसेसिंग इकाईयों को दिक्कत नहीं होगी.
अगर यह योजना सफल रहती है और फूड प्रॉसेसिंग यूनिट वाराणसी में लगाई जाती है तो यह बनारस का चौथा इंडस्ट्रियल एरिया होगा. फिलहाल वाराणसी के रामनगर, चांदपुर और करखियांव में इंडस्ट्रियल अरा स्थापित किए जा चुके हैं जहां तकरीबन तीन सौ बड़ी-छोटी इंडस्ट्री स्थापित होने से हजारों लोगों को काम मिला हुआ है.
इसके लिए यहाँ के उद्यमियों की मांग पर फूड प्रॉसेसिंग इंडस्ट्रियल एरिया बनाने के लिए जमीन का सर्वे और जरूरी फल-सब्जियों की उपलब्धता का आंकलन कर एक रिपोर्ट बनाकर प्रदेश सरकार को भेजी गई है. जिले के सीनियर अफसरों की मानें तो इस ड्रीम प्रॉजेक्ट के लिए जमीन देने को कई किसानों ने पहले ही हामी भर दी है. अगर इस मामले में कोई रोड़ा नहीं आता तो चुनाव से पहले सूबे के सीएम अखिलेश यादव इस प्रॉजेक्ट को हरी झंडी दे सकते हैं.
स्मॉल इंडस्ट्री खासकर फूड प्रॉसेसिंग से जुड़ी इंडस्ट्री लगाने के लिए उद्यमी कई दिनों से सरकार से जमीन उपलब्ध कराने की गुजारिश कर रहे थे. इस मांग को ध्यान में रखते हुए उद्योग विभाग के महाप्रबंधक उमेश सिंह के साथ फ़ूड प्रोसेसिंग डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स की चार मेम्बर्स की टीम ने जिले के सभी ब्लॉकों का सर्वे किया. शासन को भेजी गई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि सबसे ज्यादा फल उत्पादन वाले शहर की सीमा से सटे इलाके को सर्वाधिक मुफीद हैं.
इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट के जनरल मैनेजर उमेश सिंह ने बताया कि किसानों से इस मामले में बातचीत की गई है. उनके मुताबिक़ किसान भी चाहते हैं कि इलाके में फूड प्रॉसेसिंग यूनिट लग जाए. उमेश सिंह के मुताबिक़ फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 80 से 100 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी.
वाराणसी के चिरईगांव इलाके में आम, अमरूद, करौना, आवंला, केला जैसे फलों का खासा उत्पादन होता है. यह इलाका पूर्वांचल में उत्पादन के मामले में पूर्वांचल में नंबर एक माना जाता है. इस इलाके में कई कास्तकारों ने बकायदा फलों का बगीचा लगा रखे हैं. इसी तरह चिरईगांव इलाके में लौकी, आलू, प्याज, टमाटर, कोहड़ा आदि सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती होती है. पूर्वांचल के अन्य जिलों से फल-सब्जी आने से फूड प्रॉसेसिंग इकाईयों को दिक्कत नहीं होगी.
अगर यह योजना सफल रहती है और फूड प्रॉसेसिंग यूनिट वाराणसी में लगाई जाती है तो यह बनारस का चौथा इंडस्ट्रियल एरिया होगा. फिलहाल वाराणसी के रामनगर, चांदपुर और करखियांव में इंडस्ट्रियल अरा स्थापित किए जा चुके हैं जहां तकरीबन तीन सौ बड़ी-छोटी इंडस्ट्री स्थापित होने से हजारों लोगों को काम मिला हुआ है.
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